नई दिल्ली, 1 फरवरी (live24india) : – सरकार ने अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव से पहले नौकरी पेशा मध्यम वर्ग को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत आयकर में राहत देते हुये नयी कर प्रणाली में 7 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को कर से मुक्त कर दिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में आम बजट 2023-24 पेश करते हुए मध्य वर्ग को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से व्यक्तिगत आयकर के संबंध में पांच प्रमुख घोषणाएं कीं। ये घोषणाएं छूट, कर संरचना में बदलाव, नई कर व्यवस्था में मानक छूट के लाभ का विस्तार, सरचार्ज दर में कटौती तथा गैर सरकारी वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर अवकाश नकदीकरण पर कर छूट की सीमा बढ़ाने से संबंधित है।
उन्होंने नई कर व्यवस्था में छूट सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपए करने की घोषणा की है। वर्तमान में पांच लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्ति पुरानी तथा नई दोनों कर व्यवस्थाओं में किसी कर का भुगतान नहीं करते हैं। मध्य वर्गीय व्यक्तियों को राहत प्रदान करते हुए उन्होंने स्लैब की संख्या को छह से घटाकर पांच करने तथा कर छूट सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपए करने के की नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था में कर संरचना में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह नई व्यवस्था में सभी करदाताओं को राहत मिलेगी। नौ लाख रुपए तक की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को केवल 45 हजार रुपए का भुगतान करना पड़ेगा। यह उसकी आय का केवल पांच प्रतिशत है। यह उस राशि, जिसका उसे भुगतान करने की आवश्यकता है अर्थात 60,000 रुपए पर 25 प्रतिशत की कटौती है। इसी प्रकार 15 लाख रुपए की आय वाले व्यक्ति को केवल 1.5 लाख रुपए या उसकी आय का 10 प्रतिशत भुगतान करने की आवश्यकता है, जो 1,87,500 रुपए की वर्तमान कर से 20 प्रतिशत कम है।
Union Minister of Finance and Corporate Affairs Smt Nirmala Sitharaman, MoS Dr Bhagwat Kishanrao Karad, MoS Shri Pankaj Chaudhary and senior officials of the Ministry of Finance called on President Droupadi Murmu at Rashtrapati Bhavan before presenting the Union Budget 2023-24. pic.twitter.com/Nun9hhaVyi
नई दिल्ली, 24 मार्च (live24india) : – केंद्रीय सूचना प्रसारण एवं खेल व युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान कोर्ट के निर्णय पर कांग्रेस के विरोध को अनुचित ठहराते हुए राहुल गांधी के लोकसभा से डिसक्वॉलिफिकेशन को संविधान व न्यायसंगत बताया है। अनुराग ठाकुर ने कहा, राहुल गांधी झूठ का पुलिंदा हैं। झूठे आरोप लगाना, बदनाम करना, अपमानित करना और आगे बढ़ जाना राहुल गांधी जी की आदत बन गई है।
राहुल गांधी ने हमेशा खुद को सदन, सरकार, न्याय व्यवस्था व देश से ऊपर समझा
वह अपने आप को देश से बड़ा समझते हैं। अपने को संवैधानिक संस्थाओं से बड़ा समझते हैं, न्यायालय से बड़ा समझते हैं, संसद से बड़ा समझते हैं। राहुल गांधी जी खुद कह रहे थे की वो दुर्भाग्यवश सांसद हैं। आज उनको उस दुर्भाग्य से मुक्ति मिल गयी है। उनके साथ- साथ वायनाड के लोगों को भी इससे छुटकारा मिल गया है।
2018 में भी सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी थी तो कोर्ट ने कहा था कि आप भविष्य में ऐसा मत कीजिए लेकिन उसके बावजूद उन्होंने 2019 में भी मोदी सरनेम को लेकर जो कमेंट किया, यह मोदी जी के लिए गाली थी। यह पूरे ओबीसी समाज के लिए था, पिछड़े वर्ग के लिए था यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उनको माफी मांगनी चाहिए” राहुल गांधी जी इतने लम्बे समय तक लोकसभा सदस्य रहे पर अमेठी के लिए कभी कोई प्रश्न नहीं पूछा। इतने वर्षों में मात्र 21 डिबेट्स में भाग लिया। एक भी प्राइवेट मेंबर बिल लाना तो दूर लेकिन अपने ही सरकार द्वारा लाये गए आर्डिनेंस को नॉन सेंस बोलकर फाड़ने का काम राहुल गांधी जी ने किया।
राहुल गांधी ने हमेशा खुद को सदन, सरकार, न्याय व्यवस्था व देश से ऊपर समझा है। 2018 में राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में लिखित माफ़ी मांगी थी। कोर्ट ने भविष्य में ऐसी गलती करने से चेताया था। परन्तु 2019 में एक नहीं बल्कि कई बार उन्होंने अभद्र भाषा, झूठे आरोप व अपमानजनक बातें बोलीं। सभी चोर मोदी हैं, किसी को भी किसी की हत्या से जोड़ देना, कुछ भी कह देना और सोचना की उन्हें देश में कुछ हो ही नहीं सकता क्योंकि वो देश के ऊपर हैं ये राहुल गांधी की सोच बन चुकी थी।
राहुल गांधी जी को लगता था कि वो दुर्भाग्य से सांसद हैं।
भगवान ने उनकी सुन ली और कोर्ट के माध्यम से उन्हें उनके दुर्भाग्य से मुक्ति दे दी।
सदस्यता पर निर्णय कोर्ट का, कांग्रेस का हंगामा रोड पर…
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि राहुल गांधी संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।
नई दिल्ली, 24 मार्च (live24india) : – लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी का पहला बयान सामने आया है। उन्होंने ट्वीट कर लड़ाई जारी रखने की हुंकार भरी है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘मैं भारत की आवाज़ के लिए लड़ रहा हूं। मैं हर कीमत चुकाने को तैयार हूं।’
वहीं, राहुल की लोकसभा की सदस्यता रद्द किए जाने से कांग्रेस आक्रामक है। मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं ने इसे राहुल गांधी से डरी सरकार का फैसला करार दिया है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा है कि, नरेंद्र मोदी सरकार ने कांग्रेस के सम्मानित नेता राहुल गांधी के खिलाफ षड्यंत्र करने में सारी हदें पार कर दी हैं। जिस तरह से उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द की गई है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार राहुल गांधी से भयभीत है। सरकार उनके उठाए सवालों का जवाब देने के बजाय उन्हें लोकसभा से दूर करने का रास्ता तलाश रही थी।
नई दिल्ली, 24 मार्च (live24india) : – लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद की सदस्यता समाप्त कर दी गई है। सूरत कोर्ट ने कल ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह कार्रवाई जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गयी है। राहुल गांधी को सूरत के न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एच वर्मा की अदालत ने गुरुवार को 2019 में आपराधिक मानहानि कारक उनके वक्तव्य को लेकर दायर मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के अंतर्गत कुसूरवार करार देेते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनायी है।
सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाने के लिए उन्हें 30 दिन का समय दिया गया है। यह मामला भारतीय जनता पार्टी के विधायक पूर्णेश मोदी ने 2019 के आम चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान श्री गांधी एक जाति विशेष के खिलाफ की गयी टिप्पणी को लेकर दायर किया था। कई कानूनी विशेषज्ञों का कहना था कि ऐसे मामले में राहुल गांधी की सांसद के रूप में योग्यता तत्काल और स्वत: प्रभावी हो जाती है।
भले ही अदालत ने 15 हजार रुपये के मुचलके पर उनकी जमानत मंजूर कर ली हो। कांग्रेस ने इस मामले को कानून की गलत व्याख्या बताते हुए इसकी आलोचना की है और कहा है कि वह इसके खिलाफ अपील करेगी। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि देश का हर नागरिक कानून की नजर में बराबर है।
सदस्यता जाने का कानून
लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनकी अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि राहुल गांधी संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के तहत अयोग्य घोषित किया गया है।